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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया

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Wednesday, June 27, 2018



भारत के संविधान में न्यायपालिका को विशेष महत्व दिया गया है। जिसमें सर्वोच्च और अंतिम अपीलीय न्यायालय है सुप्रीम कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का मुखिया होता है चीफ जस्टिस। देश के वर्तमान प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा 2 अक्टूबर को रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर अपने बाद सबसे वरिष्ठ जज...जस्टिस रंजन गोगोई के नाम की सिफारिश केंद्र सरकार से की है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को मिलाकर अब तक भारत के 45 मुख्य न्यायाधीश हुए हैं। विशेष के इस अंक मे आज हम जानेंगे कि देश की न्याय प्रणाली के बारे में, बताएंगे कैसे होती है मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति और क्या हैं उनकी शक्तियां, साथ ही जानेंगे कॉलेजियम व्यवस्था के बारे मे और यह कब अस्तित्व में आई

Anchor – Amrita Chaurasia

Production – Akash Popli

Graphics - Nirdesh, Girish, Mayank
Editing – Rama Shankar, Wasim , Harish

Supreme Court of India: Annual e-Diary

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In Depth: Chief Justice of India

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यूपीएससी को सिविल सर्विस परीक्षा में प्राप्त अंक को सार्वजनिक करने के हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त किया [आर्डर पढ़े]

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Sunday, June 3, 2018



सुप्रीम कोर्ट ने यूपीएससी बनाम अग्नेश कुमार मामले में हाई कोर्ट के उस फैसले को निरस्त कर दिया जिसके तहत सिविल सर्विसेज परीक्षा में प्राप्त अंक को सार्वजनिक करने को कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिविल सर्विसेज परीक्षा में प्राप्त अंक के विवरण को मेकैनिकली जारी करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता।

कुछ उम्मीदवार जो कि सिविल सर्विसेज परीक्षा (प्रेलिम्स) में पास नहीं हुए थे उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को सिविल सर्विसेज परीक्षा (प्रेलिम्स) परीक्षा 2010 में प्राप्त अंक को सार्वजनिक करने की मांग की थी। उन्होंने हर विषय में हर उम्मीदवार के कट ऑफ मार्क्स के रूप में स्केलिंग के तरीके, मॉडल उत्तर और पूर्ण परिणाम की जानकारी चाही थी। हाई कोर्ट ने उनकी अपील मान ली और आयोग को 15 दिनों के भीतर यह सूचना देने को कहा। आयोग ने हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की।

सुप्रीम कोर्ट में आयोग ने कहा कि इस सूचना के अन्य सार्वजनिक हितों से टकराने की आशंका है जिसमें सरकार के सक्षम संचालन, वित्तीय संसाधनों के अधिकतम प्रयोग और कुछ संवेदनशील सूचनाओं को गोपनीयता को बचाए रखना शामिल है और सूचना नहीं देने के अधिकार को इस संदर्भ में लागू किया जा सकता है।

न्यायमूर्ति एके गोएल और यूयू ललित की पीठ ने आयोग की उपरोक्त दलील पर गौर करने के बाद कहा, "...हाई कोर्ट ने उपरोक्त मानदंडों को लागू नहीं किया"।

पीठ ने पारदर्शिता और उत्तरदायित्व और वित्तीय संसाधनों के अधिकतम प्रयोग और संवेदनशील सूचनाओं की गोपनीयता बनाए रखने के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत को देखते हुए कहा कि जो सूचनाएं मांगी गई हैं उन्हें मेकैनिकली नहीं दिया जा सकता।

पीठ ने हाई कोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए कहा, "अन्य अकादमिक निकायों की परीक्षाओं की बात अलग है। कच्चे अंकों के बारे में बताने से, जैसा कि यूपीएससी ने कहा है, मुश्किलें खड़ी होंगी और यह सार्वजनिक हित में नहीं होगा"।

हालांकि पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर नियम और परिपाटी के तहत ऐसा किया जाता है, तो निश्चित रूप से इस तरह के नियम और इस तरह की परिपाटी को लागू किया जा सकता है।


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