महात्मा गांधी को भारत का राष्ट्रपिता कहा जाता है। संविधान में उन्हें महात्मा की जगह राष्ट्रपिता कहे जाने के बहुत पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने उन्हें यह संबोधन कस्तूरबा गांधी के निधन पर भेजे अपने शोक संदेश में दिया था।
बा और बापू `भारत छोडो आंदोलन` के दौरान गिरफ्तार कर पुणे के आगा-खाँ पैलेस में नजरबंद किये गए थे। उस बंदी जीवन के दौरान ही 22 फरवरी 1944 को कस्तुरबाकी मृत्यु हो गई थी। तब गांधी जी के प्रति चिंतित नेताजी ने आजाद हिंद रेडियो रंगून से 4 जून 1944 को महात्मा गांधी के नाम प्रसारित अपना संदेश इस प्रकार दिया था -
आपके 'भारत छोडो' के आपके प्रस्ताव को यदि ब्रिटिश सरकार मानकर उस पर अमल करती है या हमारे देशवासी किसी तरह से प्रयास कर स्वयं को आजाद कराने में सफल होते हैं तो शायद हमसे ज्यादा प्रस़ता किसी दूसरे को नह होगी। लेकिन हमें लगता है कि ऐसा नह होगा और आपका आंदोलन अप्रभावी रहेगा।
हे हमारे देश के पिता! भारतीय स्वतंत्रता के इस पुणित संग्राम में हम आपके आशीर्वाद एवं शुभकामनाओं के अभिलाषी हैं।
इस संदेश से महात्मा गांधी के प्रति नेताजी का सम्मान और उनकी गर्मजोशी को समझा जा सकता है जिसमें उन्होंने `राष्ट्रपिता` का संबोधन उन्हें दिया।
इस बात पर कई प्रश्न खडे किये जा सकते हैं कि महात्मा गांधी को आधुनिक भारत का राष्ट्रपिता कैसे कहा जा सकता है - पर इस भू-भाग के ल्ए उनके अवदानों पर कोई आपत्ति नह हो सकती।
लेकिन भारत, जैसा कि हम जानते हैं, पुरानी सभ्यता से उ़त होकर आज इस रूप में पहुँचा है। यह बहुत-सी संस्कृतियों और परंपराओं वाला भूखण्ड अगर एक राष्ट्र के रूप में पहचान रखता है, एक संविधान-एक झंडे-एक सरकार के अधीन एकजुट हुआ 15 अगस्त 1947 को तो इसके लिए महात्मा गांधी ने बडा काम किया। वे लाखों भारतीय हैं जिन्होंने महात्मा गांधी में `पिता` की छाया देखी और उन्हें `बापू` कहा।
- डॉ. सविता सिंह