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कोख का कर्ज यूं चुकाओगे कम्बख्तों

Monday, August 5, 2019

/ by Satyagrahi


पूरे दिन भर से घटिया संदेश आ रहें है , कश्मीरी बेटियों को लेकर जो संदेश वाट्सएप फेक्ट्री से फैलाएं जा रहें है यदि यह काश्मीर का भारत में एक होना है तो यह कभी ना हो

जिस अंदाज़ में युवा वहां की बेटियों को लेकर संदेश, घटिया फोटो और अश्लीलतम फोटो डालकर "चिक्स, एपल, माल और उनके गोपनीय" अंगों के संदेश आ रहे हैं लगता है यह भी एक व्यापक पूर्व तैयारी का हिस्सा था

मोदी, अमित शाह, महबूबा, कांग्रेस, नेहरू और फारुख अब्दुल्ला और उमर को लेकर जो घृणास्पद कार्टून, वार्तालाप आ रहा है वह शर्मसार करने वाला है

जिन लोगों ने अपने गांव, मोहल्ले के अलावा कुछ नही देखा वे कश्मीर के निर्णय पर इतने अधिकार से बोल रहें हैं जैसे इन मूर्ख, गंवारों के नाम चल अचल संपत्ति लिख दी हो



पढ़े लिखे लोग प्लाट बिकाऊ से लेकर डल झील में रिसोर्ट की बात के पोस्टर ठेल रहें हैं और कमाल यह है कि ये सब जानते है कि ये क्या कह रहे है और कर रहें हैं

देश की नब्ज लगातार डाउन हो रही है और स्थिति खराब है, यह सब एक सुनियोजित प्रक्रिया के तहत हुआ है, 370 हटाने के हम भी हिमायती है - ख़ुश भी है पर इस क़ीमत पर कदापि नही

माफ करिये यह सनक और ये युवा कल आपकी अपनी बहू बेटियों को सड़कों पर लाकर रौंदेंगे - शायद अपनी बहनों को भी, हिंदूवाद और हिन्दुराष्ट्र का यह प्रचंड ज्वर किसी को नही बख्शेगा - याद रखियेगा


कश्मीर से कन्याकुमारी एक ऐसा हो जाये कि हमारे बेरोजगार युवा इतने अश्लील, नालायक और इस कमीनगी पर उतर आएँ तो कोई अर्थ नही ऐसे सुधारों का - बेटी पढ़ाओ और हरामखोरों के निशाने पर भेजो अगर यह मंशा और आशय है तो आपकी सभ्यता, संस्कृति और जाहिलपन पर मैं शर्मिंदा हूँ

मुझे दुख है कि ऐसे घटिया लोग मेरे परिचित है

मेरा सवाल है कि आपकी मर्दानगी, दंगों, छुआछूत, भेदभाव और जाति वैमनस्य की शिकार महिलाएं क्यों बनें - क्या आप सारी वैचारिक, आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक लड़ाईयां स्त्री के इर्द गिर्द ही बुनकर संतुष्ट हो लेते है - यदि हाँ तो आपसे बड़ा नपुंसक और नामर्द कोई नही है - डूब मरिये कही जाकर ।



संदीप नाईक

(देवास मप्र में रहते है, 34 वर्ष विभिन्न प्रकार के कामों और नौकरियों को करके इन दिनों फ्री लांस काम करते है 
अंग्रेज़ी साहित्य और समाज कार्य मे दीक्षित संदीप का लेखन से गहरा सरोकार है, एक कहानी संकलन " नर्मदा किनारे से बेचैनी की कथाएँ" आई है जिसे हिंदी के प्रतिष्ठित वागीश्वरी सम्मान से नवाज़ा गया है , इसके अतिरिक्त देश की श्रेष्ठ पत्रिकाओं में सौ से ज़्यादा कविताएं , 150 से ज्यादा आलेख, पुस्तक समीक्षाएं और ज्वलंत विषयों पर शोधपरक लेख प्रकाशित है)

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